किस्तान तेजी से परमाणु हथियार विकसित कर रहा है। अभी उसके पास 140 से
150 परमाणु हथियार और भंडार हैं। 2025 तक यह आकंड़ा 220 से 250 तक पहुंचने
का अनुमान है। इस तरह वह दुनिया में इस मामले में पांचवीं
बड़ी ताकत बन सकता है। अमेरिका की रक्षा खुफिया एजेंसी फेडरेशन ऑफ अमेरिकन
साइंटिस्ट्स (एफएएस) की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।
इस
रिपोर्ट पर काम करने वाले हंस एम क्रिस्टनसेन, रॉबर्ट एस नोरिस और जुलिया
डायमंड ने कहा कि करीब 10 साल में पाकिस्तान 350 परमाणु हथियारों के साथ
दुनिया में तीसरी बड़ी एटमी ताकत बन सकता है।
इसलिए भरोसेमंद हैं यह रिपोर्ट : यह रिपोर्ट सालाना जारी होती
है। इस पर भरोसा इसलिए किया जाता है क्योंकि इसमें उन तमाम स्रोतों का भी
आकलन किया जाता है जिसके आधार पर अनुमान लगाया गया। इसमें पाकिस्तान के
सैन्य अड्डों और एयरफोर्स के ठिकानों के अध्ययन के आधार पर कहा गया है कि
वहां लगातार परमाणु हथियारों का भंडार बढ़ाने की तैयारियां चल रही हैं।
कम दूरी की मिसाइलें बना रहा पाक : रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि
पाकिस्तान परमाणु हथियारों से लैस कम दूरी की मिसाइलों के विकास पर ज्यादा
ध्यान दे रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि वह सिर्फ भारत के साथ परमाणु
युद्ध की तैयारी कर रहा है। युगांडा दुनिया का सबसे ऊर्जावान और कुवैत सबसे सुस्त देश है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के
168 देशों के सर्वे में यह निष्कर्ष सामने आया है। इस रैकिंग में भारत का
117वां स्थान है। ब्रिटेन 123 और अमेरिका 143वें नंबर पर हैं।
देशों की रैकिंग के लिए पर्याप्त व्यायाम को पैमाना माना गया
था। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, हफ्ते में कम से कम 75 मिनट का सख्त व्यायाम या
फिर 150 मिनट की धीमी शारीरिक गतिविधियां करना पर्याप्त व्यायाम है। इसमें
युगांडा के लोग सबसे आगे रहे। सर्वे में बताया गया कि युगांडा में सिर्फ
5.5% लोग ऐसे हैं, जो पर्याप्त रूप से सक्रिय नहीं हैं। निया के 140 करोड़ लोग निष्क्रिय: डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के
मुताबिक, दुनिया के हर चार में से एक यानी करीब 140 करोड़ वयस्क पर्याप्त
एक्सरसाइज नहीं करते। कुवैत, सऊदी अरब और इराक की आधी से ज्यादा आबादी इस
मामले में पीछे है। इससे डायबिटीज, कैंसर और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़
रहा है। ज्यादातर देशों में महिलाएं पुरुषों के मुकाबले कम सक्रिय हैं।
गरीब देशों के लोग कई अमीर देशों की तुलना में दोगुने से भी ज्यादा सक्रिय
हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि बैठे-बैठे काम करने वाले पेशे और वाहनों पर
निर्भरता इसकी वजह है। साल 2001 से 2016 के बीच ग्लोबल एक्सरसाइज लेवल में
खास सुधार नहीं हुआ। विश्व स्वास्थ्य संगठन 2025 के लक्ष्य में पिछड़ गया।
डब्ल्यूएचओ अगले 7 साल में शारीरिक निष्क्रियता का स्तर 10% कम करना चाहता
है। इसके मुताबिक ज्यादातर देशों में तुरंत कदम उठाने की जरूरत है।ई दिल्ली/लाहौर. पाकिस्तान के नए राष्ट्रपति आरिफ अल्वी का भारत
से पुराना रिश्ता है। उनके पिता डॉक्टर हबीब रहमान इलाही अल्वी बंटवारे से
पहले जवाहर लाल नेहरू के डेंटिस्ट थे। यह जानकारी उनके राष्ट्रपति चुने जाने
के बाद सत्तासीन पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी की वेबसाइट में डाली गई।
आरिफ के पिता का जन्म अविभाजित भारत के कराची में हुआ था। बंटवारे के बाद
उन्होंने कराची में ही बसने का फैसला किया। राष्ट्रपति अल्वी भी डेंटिस्ट
हैं।
5 दशक पहले शुरू हुआ था राजनीतिक करियर: आरिफ
अल्वी का राजनीतिक सफर 5 दशक पहले पंजाब के लाहौर स्थित मॉन्टमानरेंसी
कॉलेज ऑफ डेन्टिस्ट्री में पढ़ाई के दौरान शुरू हुआ था। वे छात्रों के एक
दल जमात-ए-इस्लामी का हिस्सा थे और तानाशाह जनरल अयूब खान के विरोध
प्रदर्शन में भी शामिल हुए थे। एक प्रदर्शन के दौरान उन्हें गोली लग गई थी।
आज भी अल्वी के दाहिने हाथ में उस गोली का शेल मौजूद है।
इमरान के साथ पीटीआई के संस्थापक सदस्य रहे: अल्वी ने पहली बार
जमात-ए-इस्लामी के टिकट पर 1979 में चुनाव लड़ा था, लेकिन इसमें उन्हें हार
मिली थी। इसके बाद उन्होंने 1996 में बतौर संस्थापक पाकिस्तान
तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी बनाई और 1997 में चुनाव लड़ा। इसमें भी उन्हें हार का
सामना करना पड़ा था। हालांकि, पार्टी में किए कामों के लिए उनका पद लगातार
बढ़ता रहा। 2006 से 2013 तक वे पार्टी के जनरल सेक्रेटरी रहे। 2013 में वे
कराची से पहली बार सांसद चुने गए और 2018 में फिर उन्हें चुनाव में जीत
मिली।
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