वेंकटेश, वेन्नेला से केवल एक साल बड़े हैं. वे पिछले साल कॉमर्स और सिविक्स (नागरिक शास्त्र) की परीक्षा पास नहीं कर पाए थे.
वे
बताते हैं, "मैं और मेरी बहन, इस साल की परीक्षा के लिए एक साथ तैयारी कर रहे थे. कई बार तो उसके कई साथी भी उससे विषयवस्तु को समझने के लिए आते थे.
वह मुश्किल कॉन्सेप्ट को याद करने के आसान ट्रिक सब बताती थी."
वेन्नेला अपनी ग्रैजुएशन की पढ़ाई पूरी करना चाहती थी.
निज़ामाबाद
की उपभोक्ता अदालत में अटेंडेंट के तौर पर काम करने वाले वेन्नेला के पिता टी गोपालकृष्ण बताते हैं, "जब भी मैं उसकी शादी की बात करता था, वो मुझे झिड़कने लगती थी. कहती थी कि जीवन में बहुत कुछ है, शादी करने के अलावा. वो कहती थी कि डिग्री हासिल करने से सोसायटी में सम्मान मिलेगा. जब वेन्नेला
का जन्म हुआ था तबसे मैंने शराब पीनी छोड़ दी. मैं उसकी शादी के लिए पैसे बचाने लगा था. लेकिन वह चाहती थी कि मैं उसकी पढ़ाई पर खर्च करूं."
वेंकटेश अपना पर्स खोलकर अपनी बहन की तस्वीर दिखाते हुए कहते हैं कि ये हमेशा उनके पास रहती है.
वेंकटेश कहते हैं, "हमारे झगड़े भी होते थे. कई बार उसके मजाक से मैं चिढ़ जाता था. वो बाइक को लेकर मेरे से झगड़ती थी. जब कभी मैं
बाजार जाता था तो वह मुझे स्नैक्स लाने को कहती थी. पानी पूरी उसकी फेवरिट थी. मुझे नहीं लगता कि अब कभी मैं पानी पूरी खाने जा पाऊंगा."
वेन्नेला की कजिन अमूल्या ने दसवीं की पढ़ाई पूरी की है. अमूल्या का जब रिजल्ट निकला तब वेन्नेला उनके साथ थीं.
उन्होंने बताया, "अक्का ने इंटरमीडिएट में मुझे मैथ्स लेने की सलाह दी थी. उनका कहा
था कि मेरी मैथ्स अच्छी है तो मैथ्स लेने से मेरा भविष्य बेहतर होगा. वो
जब भी हमारे यहां आती थीं, हमारे लिए फेवरिट डिश बनाती थीं. हमलोग साथ में कॉमेडी शो देखते थे. अपने आस-पड़ोस के लोगों को हंसाने के लिए वो जोक्स
सुनाती रहती थी."
जिस दिन वेन्नेला का रिजल्ट आया, वो दिन
भी आम दिनों की तरह ही गुजरा था. शाम में पिता के मोबाइल फोन पर उन्होंने अपना रिजल्ट देखा. वेन्नेला की मां बताती हैं कि रिजल्ट देखने के बाद उसे
रिजल्ट पर यकीन नहीं हो रहा था.
वेन्नेला की मां याद करती
हैं, "वो लगातार कह रही थी कि फेल कैसे हो सकती हूं. हमने उसे समझाया कि कोई बात नहीं है. तुम फिर से जांच के लिए अप्लाई कर दो और फिर से परीक्षा
दे देना. मैं रात का खाना बनाने किचन में गई. अगले ही मिनट में मैंने उसे वॉशरूम से रोते हुए निकलते देखा. वो बता रही थी कि चूहे मारने वाली दवा
उसने पी ली है. वो परीक्षा में फेल हो गई है, इसलिए उसे मर जाना चाहिए. अस्पताल में भी वो लगातार कहती रही कि मुझे पास होना चाहिए था. उसे इस बात
की चिंता ज्यादा हो रही थी कि वो उन विषयों में कैसे फेल हो गई, जिसमें वह
मजबूत थी."
वे बताते हैं, "हम लोगों का जन्म कुछ ही दिनों के अंतर से हुआ
था. हमलोग बचपन से एक ही साथ पढ़ते थे. वो मेरे हर अच्छे-बुरे काम का साथी,
मेरा सबसे बेहतरीन दोस्त और सबकुछ था. हमलोग साथ में ही कॉलेज भी जाते थे. हम दोनों को मैथ्स से प्यार था. उसे कंप्यूटर लैंग्वेज की भी बेहतरीन समझ
थी. उसकी वजह से ही मेरी दिलचस्पी इस क्षेत्र में जगी थी."
किरण के पिता सारंगापानी सब्जी बेचते हैं. दो कमरों के घर के
एक कोने में पड़े गिटार को उन्होंने दिखाते हुए कहा कि बेटे को संगीत से भी
प्यार था. कमरे में एक फोटो फ्रेम भी है जिसमें गिटार के साथ किरण की तस्वीर है.
सारंगापानी बताते हैं, "वीडियो देखकर उसने गिटार बजाना सीखा था. वो स्कूल और कॉलेज के आयोजनों में गिटार बजाता था. तेलुगू फ़िल्मों की कम से कम पांच-छह गानों की धुन वो बजा लेता था."
किरण की मां अब तक बेटे को खोने के सदमे से उबर नहीं पाई हैं. किरण उनका इकलौता
बेटा था. किरण अदब से बात करने वाला और व्यवहार वाला लड़का था.
किरण
के पिता कांपती हुई जुबां में कहते हैं, "उसे अपनी तस्वीरें लेने का बड़ा शौक था. वह कई तरह के पोज बना लेता था. अब तो हमारे पास केवल तस्वीरें ही
बची हैं."
युगेश और किरण तेलुगू फिल्में भी देखा करते थे.
युगेश बताते हैं, "अल्लू अर्जुन हमारे फेवरिट एक्टर थे. हमें जब भी वक्त
मिलता तब हम उनकी फिल्में देखते थे."
जिस दिन रिजल्ट निकला, उस रात युगेश और किरण एक ही कमरे में सोए थे. युगेश के मुताबिक रात के भोजन के वक्त किरण थोड़ा डिस्टर्ब दिख रहा
था.
युगेश ने बताया, "पता नहीं वो कब उठा और बाहर निकल गया. शाम में रिजल्ट के बारे में उसने ज्यादा बात नहीं की थी."
किरण
का क्षत विक्षत शव रेलवे ट्रैक पर मिला था. माना जा रहा है कि मध्यरात्रि में किरण अपने घर से बाहर निकला होगा और चलती हुई ट्रेन के सामने कूद गया
था.